(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

चाइर पांति - अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि

चाइर पांति - अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
चाइर पांति
साते भबतू सुपरीता  

देवी शीखर बासनी  |

उगरेन तपसा लबधो  
जया पशुपति पती पती ||


चाइर पांति
नान्हियेटा सँ सुइन रहल छी
मिसरीक भाषा थिकिह मैथिली | 

राम नाम लड्डू गोपाल नाम घी

हरि नाम मिसरी घोइर घोइर पी ||

चाइर पांति

शीलबट्टा पर पीसल भांग 

दुपहरीये में देखब चान |
भांग पिबि कैलाशे देखब
बैसल छथि शंकर भगवान ||
 श्री गौरीशंकराभ्यान नम:

हर हर महादेव
चाइर पांति
बियाह में कनिञा चन्द्रमूखी सन

सूर्यमुखी तकर बाद |

किछुए दिन बाद देखब भयंकर

ज्वालामुखी के अवतार ||

चाइर पांति

नश्वर सुन्नर कोमल काया

जूइन करू एकर गुमान |
उरतै हंस एसगर एकदिन
विधनाक लिखल विधान ||

चाइर पांति

बइस सिंहासन बाबू साहेब

बनलाह लाट गवर्नर |
करनी धरनी बंगौर सनक
भारी छन्हि फुफकार  ||

चाइर पांति

बर बर देखल अजोध

खाली शेखी बघारथि |
ढ़कने ढ़कने सरबे सरबे
जुवैले गप्पो बाँटथि  ||

चाइर पांति

हमरा मिथिला के अभगली दरिद्री

उरहैरियो तूँ जो गइपराइयो तूँ जो |
जागि रहलौ आब सभ मिथिलावासी
खिसैकिये तूँ जो गइबिलाइयो तू जो  ||

चाइर पांति

लटकल फेर किसान की 

आब ने कोनो बाट सुझयै |
बैस सिंहासन मुँहगर देखु
खाली गप्प चिबाबयै ||

चाइर पांति

आषा आओर विश्वास थिक

एहि जीवनक आस |
बारह मास फूलय फलय
छगुन्त भेल संसार  ||

चाइर पांति

टिटही जनता टिटिया रहल

कयो नै सुधि लेनिहार |
तूर तेल द् परल छथि कानमे
जनता छोरल मझधार ||

चाइर पांति
सेहन्ता सँ चरक चिकनी माइट अनलकइ 
आँकड़ पाथर चुइन क् लोइया सनलकइ  |
घिरनी जेकाँ नचैत चाक पर थोइप देलकइ 
सुन्दर मोम सन मुरूतक आकृति बनेलकइ ||

चाइर पांति 
आउ उम्मीदक दिया जराबी  
सुन्दर एहेन जहान बनाबी  |
सुख शांतिक भरोस करी हम  
शांति-विजय के घोष करी हम ||

चाइर पांति 
विक्रम संवत पक्षक राजा 
कृष्ण पक्ष आ शुक्ल पक्ष |
आदि काल सँ साक्ष्य थिक 
राइत दिनक बांटल अन्तर ||

संकलन


अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि

आरे निनियाँ , अलिया-मलिया,अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि

आरे निनियाँ ,  अलिया-मलिया,अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि


आरे निनियाँ


आरे निनियाँ आरे 
बउवा लै निन नेने 

सुतु-सुतु बउवा कुकुर भुकैयै
माय एसगरुवा भानस करैयै

बाप कमउवा नोकरी करैयै
बहीन इसकुलिया स्कूल करैयै

भैया कालेजिया काँलेज करैयै
बाबा दलान पर दलान ओगरैयै

दादी आहाँलै निनियाँ बजबैयै
सुतु-सुतु बउवा कुकुर भुकैयै

चुपरे कुकुरवा आब बउवा सुतैयै 


संकलन

अमरनाथ मिश्रभटसिमरि


अलिया-मलिया



अलिया गे मलिया गे

गोला बरद खेत खाइ छउ गे
कत गेडिह पर गे-2

डिहक रखबार के छउ गे
बाबा गे,   
बाबा त् गेलउ , पुरनियाँ गे -2

लाल लाल बिझिया अनतइ गे
कथी पर झमकेतै गे 

तरवे पर झमकेतै गे -2
की सब खाइ लै अनतौ गे -2

सनेस खाइ लै अनतौ गे
सब गोटे बाँइट चुटि खैहे गे -2

गे बढ़िया मौगीबरतन सम्हारि क् रखिहैं
हमर बौआ अबै सभटा फोरैय लै 


संकलन

अमरनाथ मिश्रभटसिमरि



शनिवार, 4 अप्रैल 2015

अहउँ सुनाओ - लिख पठाओ --- नवतुरिया लेल

देश रही विदेश रही  ,   सदिखन  याद राखी  हम  मैथिल छी , 
 याद  अच्छी  त  अहउँ  सुनाओ - लिख पठाओ  --- नवतुरिया लेल 

घूवाँ मूवाँ


घूवाँ मूवाँ उपजे घना
बौवा के छेदा देबै कान दूनू सोना
के खतै दूध भात
बौवा खेतै दूध भात
के चाटत पात के
कौवा कुकूर चाटत पात के
बगिया में एकटा पोखैर खुनैल
आधा पोखैर अज्जुर मज्जुर
आधा पोखैर कमल फूल
बड़ी रानी छोटी रानी गेली नेहै
गहना गुरिया लेलक चोराय
आब की लेती कौवा ठोर 
कौवा ठोर त् कारी
आब की लेती साड़ी 
पुरान घर खसे, नब घर उठे ॥


संकलनकर्ता-
अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
जय मिथिला जयति मैथिली

अटकन-मटकन


अटकन मटकन दहिया चटकन
बैसाख मास करैला फरैय
ओइ करैला नाम की
आमुन गोटी जामुन गोटी
तेतरी सोहाग गोटी 
बाँस करैय ठांय ठांय
नदी गोंगीयैल जाय
कमलक फूल दूनू अलगल जाय
सुइया लेमैय की डोरा
सिंगही लेमैय की मुंगरी ॥

संकलन
अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
जय मिथिला जयति मैथिली 

चटापटा बाबू चटापटा


चटापटा नूनू चटापटा
हमरा नूनूके कैगो बेटा ?
छवगो ने नौगो, एके बेटा
तकरे लूड़ि-बुधि-विद्या छटा
चटापटा भाइ चटापटा
नूनूके चाहिए एके बेटा

चटापटा दाइ चटापटा
हमरा दैया के कैगो बेटा
दुइए बेटा बस दुइए बेटा
एक विज्ञानी, गुरु एकटा
दुनूके देबै दूठाम पठा
दैयो के चाहिऐ दुइए बेटा

चटापटा रे बाउ चटापटा
चाही बेटी कि चाही बेटा ?
साँच में कोन छै लटाभटा
चाही ने कोनो नंगटा-बंगटा
धियाके लेब बाउ कोंढ़े सटा
धिये सँ पायब जटिन-जटा
चटापटा भाइ चटापटा
खंज-खोहड़ि के मोन सँ हटा ॥

गीतकार
सियाराम झा सरस