नवसाल के- नबका बात
सुनू यो मैथिल , सुनू यौ तात
नाव साल के नवका बात ।
नवल चेतना जागि उठल नव
अहाँ सब छी , कियक एकात ॥
सुनू यौ --- नाव --
कतबौ लड़लौं , कतबौ लरु
मुदा एकहि ठाँ सब किछू धरू ।
सब फदकैया संग रहैया
जहिना टोकना केर यौ भात ॥
सुनू यौ --- नाव --
कियो नञि दुरजन , सब छथि सज्जन
जौं दुरजन त हमहीं दुरजन ।
अप्पन - अप्पन ठीक करु मन
एक लाख में एकटा बात ॥
सुनू यौ --- नाव --
उठू यौ मैथिल सव कियो जागू
सब ठाँ मैथिल पहुँचल आगू ।
सभतरि मिथिला चमकि उठल अछि
अपन गाम - अपन बात ॥
सुनू यौ --- नाव --
रचैता -
रेवती रमण झा "रमण "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें