(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

मिथिलाक पाबैन जूड़ शीतल


Manoj Pathak  
  मिथिलाक पाबैन जूड़ शीतलक मंगलकामना
आई बड़का पाबनि अछि। नव वर्ष शुरु भ, रहल अछि। अपन सब वरिष्ठकें सादर प्रणाम आ कनिष्ठ लोकनि जुड़ाउ, शीतल रहू।
जुड़य तनक एक -एक कोशिका आ स्वस्थ राखय मोनक एक -एक तन्तु जाहिसं आइसं शुरु भ, रहल नवका साल बर्ख भरि तन मन के राखय प्रसन्न। 
शीतायल रहय अन्तरमनमे अहरनिश पजरल आगि जे धधकबैत रहैत अछि पल-पल ईर्ष्या, द्वेश, अहंकार, अहमन्यता जाहिसं समेटाइत जाइत अछि प्रियजनक संसार।
बसिया पाबनि अछि आई, आंच नहि पजरैत छलैक आइ भोरे भोर नेनावस्थामे हमर आ बसिया बड़ी भातक जलखई आ भोजनो होइत छल। पटनामे जलक संग सतुआ दान आ सतुआ पानक चलन छलैक।
रहल छलहुं एकाधे बेर अपन गाम गजहरामे जतक छलाह महामहोपाध्याय उमेश मिश्र, आदरणीय जयकान्त बाबू .......आ आरो बहुत रास लोक जनिका नामसं गामक नाम छल प्रसिद्ध ।

समकालमे अही गामक आनुवंशिकता लेने दुनिया भरि घूमैवला फेसबुक मित्र समाजक हेमकान्त बाबू , जनिक विविध बहुरंगी छटा झलकबैत, बिहुंसबैत फोटो खूब चाओ सं देखैत छी हम , हमर जीवन संगिनी आ धीया पूता सेहो...
भाई विधुकान्त जी सेहो अही गामक जे फेसबुक पर अपन सक्रिय भागीदारी सं सब नीक काज के आगां बढ़ेबाक लेल समान भावसं सबके दैत छथि प्रोत्साहन आ स्वास्थ्योपयोगी आ जीवनोपयोगी बहुत सूचना पठबैत रहैत छथि व्यापक मित्र समाजक लाभक लेल सदिखन.....
बीरू भाई सेहो अही गामक जे हेमनि में मित्र वर्गमे जुड़लाह आ बहुत रास पछिला अगिला खाढ़ीक समांग सेहो संगहि छी जुड़ल फेसबुक मित्र समुदाय मे जाहिमे संबंधमे तं कका मुदा संगमे मीता सेहो, नवीन बाबू सेहो गजहरेक थिकाह।
सब केओ जुड़ायल रही से कामना मां भगवती सं ।
आब गामसं निकलिक आशीर्वाद ली गुरुजनसं जाहिमे सम्मिलित छथि फेसबुकक जन्मसं बहुत पहिनेसं सदिखन आशीर्वाद बरिसबैत आदरणीय गुंजनजी जनिक स्नेह प्रतिपल अनुभव करैत छी हम, आदरणीय विभूतिजी जिनक चरिपतिये नहि अपितु अनेको रचना बहुत दूर धरि जेबाक सामर्थ्य रखैत अछि आ बहुत रास
आन अध्यापक , साहित्यकार समाजक वरिष्ठ सृजनशील संभावनावान, सब प्रणम्य आ सबसं अछि आशीर्वादक आकांक्षा जे जुड़यबाक दैथि आशीष। 
अनेको प्रणम्य निज रक्त वंशी परिवारक सदस्य सबसं सेहो फेसबुक माध्संयम सं छी हम सब जुड़ल, सबके प्रणाम आ सब छोटके आशीष , जुड़ल रहू, जुड़बैत रहू आगां बढैत रहू। जे फेसबुकसं नहि छथि जुड़ल मुदा हुनको तक पहुंचैत अछि सबटा समाद सबके चरण कमलमे सादर प्रणाम।
  जीवनमे वस्तुतः ने किछु छूटैत छैक ने किछु भेटैत छैक, बस समयक ई खेल जाहिमे किछु छूटैत किछु भेटैत रहबाक खेल खेलाइत रहैत छथि विधाता हमरा अहांक संग आ लोक सुखी वा दुखी होइत रहैत अछि।
गाम, घर आ परिवारसं बहरा क, आब ताकी फेसबुक आ इंटरनेट समाजक जगजियार मैथिल लोक के जे मिथि जकां ,मथि रहलाह अछि अपन देह आ जाबति तक समांग रहतैन बस ताबति तक हुनक संग रहथिन हुनक मैथिली, कारण विदेह बनिक, अपन ऊर्जा मुक्त क, क, अनकामे पैसि आ अनकर मोनमे बैसल रहबाक सामर्थ्य विद्यापतिक बाद किनकोमे नहि देखा रहल अछि हमरा।
विद्यापतिक पहिनेसं मिथिलाक लेल अपन तन मन अर्पित करैबला सब नायकक बाद, हुनक बादक पीढ़ीक नायक,क ऊर्जामे अभावे अभाव देखाइत अछि हमरा।
बादक सब मिथि अपन देह मथि जे राज्य वा छोट पैघ मठ बना पबैत छथि ओहिमे अपन मूरुत अपन सोचके अलावा अनकर मुरुत अनकर सोच स्वीकार करबाक वा कोनो फराक तर्क, वा सहयोगक कल्पने नहि क, पबैत छथि तंए हुनक मैथिली हुनक जीवनकालेमे हुनकहु सं पहिने धरतीमे सन्हिया जाइत छथि।
मुदा तैयो जतेक मिथि छी , मैथिली आ मिथिलाक उद्धार वा विकासक लेल प्रयासरत छी सबके शुभकामना, जुड़ायल रहू, शीतायल रहू, आ कतबो ताप सह, पड़य, धाहमे धधक, पड़य जूड़ शीतलक आशीष अहांक प्रयासमे सफलता आनय से कामना।
राजा जनकक, राज्य मिथिला लगातार आगुए बढि रहल अछि । मैथिलक संख्या लगातार बढिए रहल अछि। जे पलायन मिथिलासं देखाइयै वा जे विकासक आंकड़ा पाछा मुंहे देखाइयै ओकरा स्वीकार करितो मिथिलामे पछिला पांच दशकमे तुलनात्मक रूपसं समृद्धि साफ साफ देखाइत छैक। तुलना मिथिलाक हेबाक चाही मिथिलेक संग। आन प्रान्त वा आन देशक संग नहि।
भूखसं मृत्यु आब प्रायः नहि होइत छैक। लोकलाज वा अन्नक अभाव मे एको सांझ भूखल रहबाक स्थिति पहिनेक तुलनामे आई कम देखबाक लेल भेटत।
मैथिल समाजक सब वर्णक लोक जे मिथिलासं पलायन क, क, मिथिलासं बाहर गेलाह.... अपना संग मैथिलीके संग ल, गेलाह अपन पाबनि तिहार नहि बिसरलाह हुनक सूर्य भकरार भ, क, पूरा देशमे छठि पर उगैत दुनिया देखैत अछि।
बस एहिना जुड़ायल रहू, शीतायल रहू। मैथिल नव वर्ष पर शुभकामना, नव साल मंगलमय हो , हितकर हो सुखकर हो।
जे जत, कतहु छी अपना स्तरसं मैथिलीक लेल जे क, सकैत छी बस ओतबे करू तैयो मिथिला बढ़ैत रहत, मैथिली चलैत रहती आ मैथिल संतान जगजियार होइत रहताह। 
कहैथि छैथि -
आई प्रकृति जुड़ा रहल अछि
मैथिली नववर्ष मना रहल अछि । 
स्नेह सुधा सँ चुमा रहल अछि
जुइर-शीतल सभ करा रहल अछि॥

जय मैथिल जय मिथिला 

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