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बुधवार, 23 जून 2010

झरोखा



लेखक - मुकेश मिश्रा




झरोखा

पलक झुका कर सलाम करते है,
अपने दिल की दुवा आपके नाम करते है
कबूल हो तो मुस्कुरा देना,हम मुकेश मिश्रा,
ये झरोखा आप के नाम करते है


दुनियाँ में रह के सपनों में खो जाव
किसी को अपना बना लो या किसी का हो जाव
अगर कुछ भी नही होता तो तकिया लो अऔर
सो जाव ,

बुझी हुयी समा फिर से जल सकती है
तूफान में गिरी कस्ती किनारे लग सकती है
मायूस ना होना कभी जिन्दगी में ..
ये किस्मत है कभी भी बदल सकती है

दिल ने कहा दोस्त को sms करो ,
फिर ख्याल आया की दिल तो पागल है ,
फिर सोचा दिल दिल अगर पागल है तो क्या हुवा ..
मेरा दोस्त कैन सा नौरमल है

वादियों से सूरज निकल आया है,
फ़िजावो ने नया रंग चाह है
खामोश हो अब तो मुस्कराव,आपकी
मुश्कान देखने हमारा sms आया है

गम वी जो आशु ला दे,ख़ुशी वो जो गम भुला दे
हमे तो चाहिए आपकी इतनी सी दोस्ती, जो
हमारे याद करने पर एक फोन कर दे

लिखे जो खत मैंने उसकी याद में,
पूरा पढ़ लिया पापा ने रात में
सुबह जब हुवा तो जुते इतने परे की
तेरे नाम वाला बाल गजनी में बदल गया

जब भी हम मैसेज करते है,लोग कहता है
इनको तो आदत है पैसा उराने की,मगर वो
नदान किया जाने, ये भी एक आदत है
रिश्ते निभाने की

बरे अरमानो से बनबाया है,
इसे रौशनी से सजाया है
जरा खिरकी खोल के देख लेना,आपको
good night कहने चाँद को भेजबाया है

गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449

9 टिप्‍पणियां:

  1. आहा के लिखल झरोखा,हमरा दिल के धरका गेल
    सपना

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  2. दीपिका कुमारी23 जून 2010 को 3:03 pm बजे

    कसम स की लिखौ छि आहा यौ,
    जल्दी स कहु ने आहा रहै छि कहा यौ,
    दीपिका कुमारी

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  3. मन हौय नचिते रहू,की मुकेश जी आहा के
    लिखल झरोखा परीते रहू
    रानी (मधेपुर प्रसाद)

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  4. aap ka jbab nhi mukesh jee
    etne din kha the aap.
    sandip

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  5. एगो चाँद उपर य दोसर चाँद निचा
    एक बेर आहा भेटीतऊ मुकेश जी
    आछी सोनी क इक्छा
    सोनी (मधुवनी मेंहथ)

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  6. जान में जान आबी गेल
    आहा स पहचान बनी गेल ,
    रहितौ हमरा ओरा
    ल लैतव हम कोरा,
    शालू (कोठिया)

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